Friday, 14 October 2016

A hindi Poem(Sapne pure kr chodunga..)

:::::::::सपने पूरे कर छोडूंगा:::::::::

न बोलूँगा न देखूंगा दुनिया से नाता तोडूंगा
न रुकना है न थकना है सपने पूरे कर छोडूंगा ,
मैं जान फूंक दूंगा अब तो अपना रास्ता न मोडूँगा
सपने पूरे कर छोडूंगा सपने पूरे कर छोडूंगा।
टकराना है चट्टानों से भिड़ना है जा मैदानों में
जुड़ना है धरती से मुझे उड़ना है आसमानों में,
रोक सके जज़्बात मेरे अब दम है कहाँ तुफानो में
देर लगे चाहे मुझको राहों से मुख न मोडूँगा
सपने पूरे कर छोडूंगा सपने पूरे कर छोडूंगा।
है सब्र का फल मीठा लेकिन है सब्र कहाँ इंसानों में
हो लक्ष्य न जिसका जीवन में रहता है यो श्मशानो में ,
मेरा दर्द क्या जानेगा कोई है कई राज छुपे मुस्कानों में
टकराऊंगा हर दीवार से मैं पर हाथ कभी न जोडूंगा
सपने पूरे कर छोडूंगा सपने पूरे कर छोडूंगा।
जब तक पूरे हो न जाएँ है चैन कहाँ अरमानों को
लगे न फल जब पेड़ों में जाता है कौन बागानों को ,
मन में जब है ठान लिया रोकेगा कौन दीवानों को
रच के मैं इक पाठ नया पन्ना इतिहास में जोडूंगा
सपने पूरे कर छोडूंगा सपने पूरे कर छोडूंगा।

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