Friday, 14 October 2016

Sweet memory of friends..

जिनसे बिछड़े हुए मुझको मुद्दत हुयी है,
याद सीने से उनकी लगा लेने दे|
रो रो कर थक चुका हूँ मैं यादों में उनकी,
मेरी हाल पे उनको मुस्कुरा लेने दे|
अरे आँख में लाख सपने सजाये हुए था,
उनको खाबों पर पहरा लगा लेने दे|
मैनें अंधेरे में जलाया था जो उन्स दीपक,
वो दीपक भी उनको बुझा लेने दे|
हमेशा से अँगूली वो मुझपे उठाते रहे हैं,
इल्जामों को अब सिर उठा लेने दे|
उनकी सुनाना तो आदत सदा से रही है,
फिर आज भी उनको सुना लेने दे|
अरे ये अक्सर रूठ जाते हैं रूठने वाले,
इस बार भी तू उनको मना लेने दे|
हकीकत आज कल में पता चल जायेगी,
अभी आईना तू उनको दिखा लेने दे|
मैं अपनी मर्जी का मालिक सदा से रहा,
"पर" खुद का मुझको जला लेने दे|
आसमां ओढ़कर तो एक दिन सो जाऊँगा,
अभी नींद से कुछ को जगा लेने दे|
अरे सब कुछ मिला उस खुदा से है मुझको,
झूठी तारिफों में अब मुस्कुरा लेने दे|
जिनसे बिछड़े हुए मुझको मुद्दत हुयी है,
याद सीने से उनकी लगा लेने दे||
  

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